Saturday, 13 February 2016

                    "कहानी"


चलो आज बैठे कही दूर हम
कहानी बयां होगी एक शक्स की।
करो तुम ये वादा कहोगे नहीं
किसी और से फिर शुरू मैं करूँ।
जो कह भी दिया गर कभी भूल से
तो कहना के बस ये कहानी ही थी।।
ये जो चाँद दिखता है प्यारा अभी
ये तब भी यही था मुझे याद है
ये तारे ये नदियां सभी थे यहाँ
बड़े खूबसूरत वो मौसम भी थे।
उन्ही में कहीं ज़िंदगानी भी थी
वो जिससे अभी रूठ बैठे है हम।
बड़ी खुशमिजाजी मेरे मन में थी
बड़े ख्वाब भी हमने देखा किये।
नहीं ये नहीं है के ख्वाबों से टूटे
अँधेरा घना था पसंद आ गया।
वही शक्स हमें तो है प्यारा लगा
जो हर इक दिए को बुझाता चला।
कहूँ क्यों मोहब्बत है इस रात से
मुझे शख्स कोई दिखाई ना दे।
मुझे नापसंद ये नाक़ाब सभी है
मेरी रात में सब फ़ना हो गए।
हमारी मोहब्बत शुरू यूँ हुई
दिये जो बुझे इश्क़ हमको हुआ।

Friday, 8 January 2016


।।पत्थर ना हो जाऊं।।

हमदर्द हो, हमराज़ हो, फिक्रमंद हो मेरे
दिल के मंज़र, मेरी कशमकश का इल्म है तुम्हे।
दबे हुए ख्यालों से, पत्थर ना हो जाऊँ
तुम कहते हो रो लूँ, और सब भूल जाऊँ।
हसरतों की फेहरिस्त में, रोना भी शुमार है
तेरे आगे नहीं, बस कागजों पे रोने का खुमार है।
आंसुओं को मिली हँसी का सबक अबतक याद है
अल्फ़ाज़ों की वाहवाही भूली नहीं जाती।
कहो तुम कहो, सामने रो लूँ और कमज़ोर हो जाऊ
या कागजों पर ही रो लूँ, और 'फ़िराक' ही जाऊँ।
मन के वीराने जंगल में, तलाश-ए-ग़म ज़ारी है
कुछ मिलता नहीं रोने को, तो क्यूं दिल भारी है||